Tuesday, December 8, 2009

अशआर

माँ की बुक्कल अक्सर हमें बचाती थी,
जब बापू ने छड़ी उठा के डांटा था.
जब
भी रात को देर गए हम घर पहुंचे,
बच्चे की नम आँखें मुंह पे चांटा था.